बजटरी नियंत्रण से क्या आशय हैं। इसके महत्वपूर्ण उद्देश्य,लाभ, सीमाएं, आवश्यक गुण, वर्गीकरण व प्रक्रिया। What is Budgetary Control

बजट एवं बजटरी नियंत्रण:


हेलो दोस्तों आज हम इस पोस्ट के माध्यम से बजट एवं बजटरी नियंत्रण की जानकारी प्राप्त करेंगे। और बजट का व्यवसाय में क्या महत्व होता है। व्यापक रूप से प्रबंध प्रक्रिया में योजना, संगठन, निर्देशन और नियंत्रण कार्यों को सम्मिलित किया जाता है। बजट योजना का एक मुख्य अंग है। न केवल व्यवसाय में ही बल्कि निजी जीवन में भी योजनाएं बनाई जाती हैं। बजट एक निश्चित अवधि में व्यवसाय के संचालन के लिए प्रबंध की योजनाओं का वित्तीय रूप हैं। यदि आप भी मैनेजमेंट का कार्य करने की सोच रहे हैं तो आपको बजट और बजटरी नियंत्रण के बारे में पता होना चाहिए कि यह क्या होता है तो आपको बजट और बजटरी नियंत्रण को समझने के लिए इस लेख को आगे जरूर पढ़ना चाहिए। बजटरी नियंत्रण से क्या आशय हैं। इसके महत्वपूर्ण उद्देश्य,लाभ, सीमाएं, आवश्यक गुण, वर्गीकरण व प्रक्रिया। (What is Budgetary Control) के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करने के लिए आगे पढ़े। उम्मीद है कि आपको यह पोस्ट अच्छी लगेगी। तो चलिए शुरू करते हैं।

बजटरी नियंत्रण से क्या आशय हैं। इसके महत्वपूर्ण उद्देश्य,लाभ, सीमाएं, आवश्यक गुण, वर्गीकरण व प्रक्रिया। (What is Budgetary Control) 


Meaning of Budget(बजट का अर्थ):-बजट एक समय अवधि से संबंधित एक योजना है जिसे परिमाणात्मक रूप में व्यक्त किया जाता है। तथा यह व्यवसाय के भविष्य अवधि के कार्यों की एक व्याख्यात्मक योजना है। तथा यह संबंधित अवधि का पूर्व अनुमान है।

I.C.M.A.London के अनुसार, बजट एक निश्चित उद्देश्य की प्राप्ति के लिए अपनाई जाने वाली नीति का वित्तीय विवरण है जो एक निश्चित अवधि से पूर्व तैयार किया जाता है।

Meaning of Budgetary Control (बजटरी नियंत्रण का अर्थ):बजटरी नियंत्रण प्रबंध के पास एक ऐसा यंत्र है जिसे व्यवसाय की क्रियाओं की योजना बनाने, उसे क्रियान्वित करने तथा नियंत्रण करने के लिए प्रयोग किया जाता है।

Features of Budgetary Control (बजटरी नियंत्रण की विशेषताएं):

बजटरी नियंत्रण की महत्वपूर्ण विशेषताएं:-जो इस प्रकार से हैं।-       

  • बजट तैयार करना।
  • वास्तविक निष्पत्ति का लेखा रखना।
  • वास्तविक निष्पत्ति की बजट बनाई गई निष्पत्ति से निरंतर तुलना करना तथा बजट बनाई गई निष्पत्ति की प्राप्ति न होने पर उत्तरदायित्व निश्चित करना।
  • सुधारात्मक कार्यवाही करना। जो बजट में महत्वपूर्ण परिवर्तन भी हो सकता है।

J.Batty-के शब्दों में, "बजटरी यंत्र एक ऐसी प्रणाली है जिसमें वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन और विक्रय के समस्त पहलुओं की योजना एवं नियंत्रण के लिए बजट का प्रयोग किया जाता।" 

Objectives of Budgetary Control(बजटरी नियंत्रण के उद्देश्य):

बजटरी नियंत्रण के महत्वपूर्ण उद्देश्य है जो इस प्रकार से हैं- 

  • योजना बनाना (To Plan)- बजट व्यवसाय की भविष्य में एक निश्चित अवधि के लिए पूर्ण योजनाएं प्रदान करता है। यह योजनाएं उत्पादन कच्चे माल,विक्रय व श्रम की आवश्यकता,विज्ञापन और विकास क्रियाएं एवं पूंजी आवश्यकता से संबंधित होती हैं। योजना द्वारा बहुत सी समस्याओं का उनके उत्पन्न होने से पूर्व अनुमान लगाया जा सकता है। और उनका अध्ययन द्वारा हल निकाला जा सकता है।इस प्रकार योजना द्वारा बहुत से आपातकालीन संकटों से बचा जा सकता है।
  •  समन्वय करना(To Coordinate): बजटो द्वारा संगठन के अलग-अलग विभागों जैसे उत्पादन विपणन प्रशासन आदि में समन्वय लाया जा सकता है। यह समन्वय विभागीय प्रबंधकों की सलाह एवं उनमें नीतियों पर आपसी समझौते द्वारा लाया जाता है।
  • संपर्क रखना(To Communicate):  बजट विभिन्न विभागों के साथ संपर्क रखनेे की एक अच्छी तकनीक महत्वपूर्ण तकनीक है। बजट की व्यापक योजनाओं को तब तक क्रियान्वित नहीं किया जाएगा जब तक संगठन इन योजनाओं को अच्छी प्रकार से नहीं समझता। बजट की प्रतियां प्रबंधकीय कर्मचारियों को दी जाती है जिससे वे बजटो और कार्यक्रमों को भली-भांति समझ सकते हैं।
  • नियंत्रण करना(To Control): नियंत्रण में यह देखा जाता है कि लक्ष्यों और योजनाओं को क्रियान्वित किया जाता है और इसमें देखा जाता कि वास्तविक निष्पत्ति पूर्वनिर्धारित योजनाओं केे अनुसाार है या नहींं। तथा विचलन को सुधारात्ममक कार्यवाही द्वारा दूर किया जाता है।
  • विभागों और लागत केंद्रों की संचालन कार्यकुशलता में सुधारना।
  • संगठन के सदस्यों से सहयोग एवं दृढ़ संकल्प प्राप्त करने के लिए।
  • व्यवसाय की वित्तीय स्थिति और संचालन क्रियाओं का पूर्वानुमान लगाना ताकि संस्था के मूल्यवान संसाधन एवं संपत्तियों का कार्य कुशलता पूर्वक तथा प्रभावकारी ढंग से प्रयोग किया जा सके।
  • उत्पादन में मौसमी उतार-चढ़ाव दूर करना।

Advantages of Budgetary Control (बजटरी नियंत्रण के लाभ):

बजटरी नियंत्रण के महत्वपूर्ण लाभ:-लागतो को नियंत्रण करने के लिए और लाभो को अधिकतम करने के लिए बजटरी नियंत्रण प्रबंध की एक महत्वपूर्ण तकनीक है। तथा यह वास्तविक निष्पत्ति की पूर्व निर्धारित निष्पत्ति से तुलना करती है और विचलनों का पता लगाती है और प्रबंध की सहायता करती है। तथा यह व्यवसाय के अपव्यय को कम करती हैं और कार्यकुशलता में सुधार करने और संगठन की कमजोरियों का पता लगाने में सहायक होती है। तथा बजटरी नियंत्रण के महत्वपूर्ण लाभ इस प्रकार से है:-

  • बजटिंग से व्यवसाय के विभिन्न विभागों एवं कार्यों में समन्वय लाया जा सकता है।
  • बजट आंकड़े परिमाणात्मक होने के कारण निष्पत्ति का मूल्यांकन अधिक विवेकशील होता है।
  • इससे ज्ञात हो जाता है कि व्यवसाय में कार्यकुशलता है या इसकी कमी है।
  • बजटिंग एक पैमाना प्रदान करती है जिससे वास्तविक परिणामों की तुलना आसानी से की जा सकती है।
  • यह प्रणाली उत्पादन क्षमता को बढ़ाती है तथा अपव्यय को कम करती हैं और लागतो को नियंत्रित करती है।
  • बजटिंग व्यवसाय के लक्ष्य एवं नीतियों का निर्धारण करने में सहायक होती है। तथा इससे व्यवसाय के लाभों को अधिकतम किया जा सकता है।
  • बजटिंग प्रबंधकों को पहले से ही सोचने तथा बदलती हुई परिस्थितियों का सामना करने के लिए मजबूर करती है।
  • बजटिंग से संप्रेषण की गुणवत्ता में वृद्धि होती है।
  • बजटरी नियंत्रण Delegation of Authority में भी सहायता करता है। 
  • इसमें वास्तविक निष्पत्ति बजट के अनुसार न होने पर व्यक्तियों एवं विभागों पर जिम्मेदारी निश्चित की जाती है जिससे वे अपनी गलतियों के लिए दूसरों को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते।

Limitations of Budgetary Control (बजटरी नियंत्रण की सीमाएं):जिन व्यवसायिक संस्थाओं में बजटरी नियंत्रण प्रणाली अपनाई जाती है, उनमें लागतो को न्यूनतम स्तर पर रखा जाता है। तथा संसाधनों का अनुकूलतम प्रयोग किया जाता है फिर भी बजटरी नियंत्रण की निम्नलिखित सीमाएं हैं। जो इस प्रकार से हैं:-

  • अनुमानों पर आधारित बजट(Budgets Based on Estimates):क्योंकि बजट पूर्व अनुमानों पर आधारित होते हैं तथा लक्ष्यों को यथार्थता से प्राप्त करने का विश्वास नहीं दिलाया जा सकता है। तथा बजट का सफल क्रियान्वयन इस बात पर निर्भर करता है कि यह अनुमान कहां तक सही है। इस प्रकार इस पद्धति को अपनाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बजट अनुमानों पर आधारित होते हैं।
  • कठोरता का जोखिम(Danger of Rigidity): बजट को परिमाणात्मक रूप में व्यक्त किया जाता है। तथा बजट आंकड़ों को अंतिम मानने की प्रवृत्ति रहती है। तथा एक बजट कार्यक्रम बदलती हुई परिस्थितियों के साथ-साथ परिवर्तनशील होना चाहिए।
  • महंगी तकनीक(Expensive Technique): बजट नियंत्रण प्रणाली की स्थापना एवं संचालन व्यवसाय को महंगा पड़ता है क्योंकि इसकेे अंतर्गत विशेषज्ञों की नियुक्ति करनी पड़ती है। और अन्य कई प्रकार के खर्च करने पड़ते हैं। इस कारण छोटे व्यवसाय इसे अपनाने में कठिनाई अनुभव करते हैं। इसलिए यह प्रणाली बड़ेेे आकार वाले व्यवसाय के लिए ही लाभ प्रद रहती है।
  • दबाव तकनीक(Pressure Technique):बजटो को कभी-कभी उच्च प्रबंधन द्वारा निम्न स्तर पर दबाव के रूप में प्रयोग किया जाता है। कर्मचारियों के कर्तव्य और जिम्मेदारी ढांचे में भी आवश्यक परिवर्तन करने पड़ते हैं जिसके लिए वेे अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करतेे हैं।
  • बजटिंग प्रबंध के लिए केवल एक तकनीक है (Budgeting is only a Tool of Management): बजटिंग प्रबंध का स्थान नहीं ले सकती बल्कि यह प्रबंध की एक तकनीक है। बजट को स्वामी की बजाय नौकर मानना चाहिए। और कभी-कभी यह समझा जाता है कि व्यवसाय में बजट कार्यक्रम का प्रारंभ ही सफलता के लिए पर्याप्त है परंतु बजट का क्रियान्वयन अपने आप नहीं होता। तथा इसमें यह अति आवश्यक होता है कि पूरा संगठन इसमें जोश से भाग ले और बजटरी नियंत्रण के उद्देश्यों को प्राप्त करें।

Essentials of Effective Budgeting(प्रभावकारी बजटिंग के आवश्यक गुण):

  • उच्च प्रबंध का सहारा(Support of Top Management): बजटरी नियंत्रण प्रणाली की सफलता के लिए उच्च प्रबंध की सहायता एवं सहयोग प्राप्त होना बहुत जरूरी है। जब तक इस प्रणाली को प्रबंध महत्वपूर्ण नहीं समझता तब तक यह प्रभावकारी नहीं हो सकती। तथा बजट के क्रियान्वयन के लिए आवश्यक साधन उच्च प्रबंध ने ही प्रदान करने हैं।
  • स्पष्ट संगठन(Well Defined Organisation): बजटरी प्रणाली से अधिकतम लाभ उठाने के लिए यह आवश्यक है कि व्यक्तियों के कर्तव्य ,अधिकार व जिम्मेदारियां स्पष्ट रूप से निश्चित की जाए।इसके लिए पूरे संगठन को जिम्मेदारी केंद्रों में विभाजित किया जाना चाहिए और प्रत्येक केंद्र की निष्पत्ति अलग-अलग जांच करनी चाहिए।
  • जिम्मेदार प्रबंधकों द्वारा भागीदारी(Participation by Responsible Managers): बजट के उचित क्रियान्वयन के लिए उन प्रबंधकों को बजट बनाने में सम्मिलित करना चाहिए जिन्होंने उनका क्रियान्वयन करना है। ऐसा करने से प्रबंधक बजट को अपनी  अपनी ही योजना समझेंगे और वे पीछे नहीं हटेंगे।
  • लचीलापन (Flexibility): कोई भी बजटरी प्रणाली कठोर नहीं होनी चाहिए। बजट कार्यक्रम में भावी परिस्थितियों जिनका आज ज्ञान नहीं है, के अनुसार परिवर्तन करना संभव होना चाहिए। इससे बजट उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए प्रबंध का नियंत्रण सुदृढ़ होगा। दूसरी ओर यदि बजट कठोर है तो हो सकता है कि परिस्थितियों के बदलने के कारण उसे क्रियान्वित करना और असंभव हो जाए।
  • मितव्य प्रणाली(Economical System): बजटरी  प्रणाली की लागत इससे होने वाले लाभों से अधिक नहीं होनी चाहिए
  • मानकित कार्यविधियां (Standardised Procedures):बजट तैयार करने ,भेजने, जांच करने तथा उनमें आवश्यक परिवर्तन करने तथा निष्पत्ति के मापन एवं मूल्यांकन करने के लिए निरपेक्ष कार्य प्रणालियों को निर्धारित करना चाहिए।
  • स्पष्ट संगठन(Well Defined):बजट तैयार करने के लिए लेखांकन विभाग से बहुत सी ऐतिहासिक सूचनाएं प्राप्त करनी पड़ती है।लेखांकन प्रणाली के अंतर्गत विभिन्न विभागों की वास्तविक निष्पत्ति को मापा जाता है व उसका मूल्यांकन किया जाता है। और यह देखा जाता है कि विचलन किस सीमा तक है।तथा लेखांकन प्रणाली ऐसी होनी चाहिए ताकि संगठन के प्रत्येक भाग पर जिम्मेदारी निश्चित की जा सके।
  • उचित नीतियां (Reasonable policies): बजटरी  कार्यक्रम के अंतर्गत व्यवसाय की नीतियां स्पष्ट होनी चाहिए तथा नीतियों के अनुसार ही कार्य को निर्धारित करना चाहिए तथा उसी के अनुसार बजट तैयार करने चाहिए। अतः इसलिए स्पष्ट नीतियों का होना अति आवश्यक है।

बजटो का वर्गीकरण (Classification of Budgets): बजटो का वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया जा सकता है। जो इस प्रकार से है: 

  • समय के अनुसार:(According to Time):
  •  कार्य के अनुसार: (According to Function):
  •  लोचशीलता के अनुसार:(According to Flexibility):
समय के अनुसार (According to Time): समय के आधार पर बजटो को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है
दीर्घाकालीन बजट, अल्पकालीन बजट, और चालू बजट।

Long term Budgets:-जो बजट 5 से 10 वर्ष की अवधि के लिए तैयार किए जाते हैं उन्हें लॉन्ग टर्म बजट कहते हैं जैसे पूंजीगत व्यय बजट।

Short term Budgets:-ऐसे बजट जो 5 वर्ष से अधिक अवधि के लिए नहीं तैयार किए जाते उन्हें अल्पकालीन बजट कहा जाता है ऐसे बजटो को मात्रा तथा मुद्रा दोनों में व्यक्त किया जाता है।

Currents Budgets:-इन बजटो का समय बहुत छोटा होता है जैसे एक से दो-तीन मास ।इन बजटो को चालू परिस्थितियों के अनुसार परिवर्तित किया जाता है।

कार्य के अनुसार (According to Function): व्यवसाय के कार्यों के अनुसार तैयार किए गए बजटो को क्रियात्मक बजट कहा जाता है। जो कार्य वह बजट करता है उसे वही नाम दिया जाता है।सभी क्रियात्मक बजटो की सहायता से मास्टर बजट तैयार किया जाता है।किसी व्यवसाय में क्रियात्मक बजटो की संख्या उसकी प्रकृति एवं आकार पर निर्भर करती है। मुख्य क्रियात्मक बजट इस प्रकार से हैं:-

  1. विक्रय बजट(Sales Budget)
  2. विक्रय एवं वितरण लागत बजट(Selling and Distribution Budget)
  3. उत्पादन लागत बजट(Cost of Production Budget)
  4. कच्ची सामग्री का बजट(Raw Material Budget)
  5. श्रम बजट(Labour Budget)
  6. क्रय बजट(Purchase Budget)
  7. रोकड़ बजट( Cash Budget)
  8. मास्टर बजट(Master Budget)
  9. प्रशासनिक व्यय बजट(Administrative Expenses Budget)
  10. शोध बजट(Research Budget)
  11. उत्पादन बजट(Production Budget)
  12. पूंजीगत व्यय बजट(Capital Expenditure Budget)
Sales Budget(विक्रय बजट): यह बजट कुल विक्रय की मात्रा, मूल्य,वस्तुओं के प्रकार,समय अवधि एवं क्षेत्र के अनुसार विक्रय के पूर्व अनुमान को दर्शाता है। तथा विक्रय बजट को तैयार करना बहुत ही मुश्किल कार्य है। और विक्रय बजट अन्य सभी बजटो का आधार होता है। इस प्रकार यदि विक्रय के आंकड़े गलत हो जाते हैं तो इससे सभी अन्य बजट प्रभावित होते हैं। तथा यह बजट यह बताता है कि बजट अवधि में व्यवसाय अपने ग्राहकों को कितना विक्रय कर सकता है। तथा उपभोक्ताओं की भावी मांग का अनुमान लगाना सरल कार्य नहीं है। विक्रय को वस्तु की इकाइयों तथा मुद्रा दोनों में दर्शाया जाता है। विक्रय प्रबंध विक्रय बजट तैयार करने और उसके कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार होता है।

विक्रय एवं वितरण लागत बजट(Selling and Distribution Budget): यह बजट वस्तुओं के क्रय और विक्रय के पश्चात उनके वितरण की लागत का अनुमान प्रदान करता है। इस बजट को विभिन्न तत्वों जैसे भावी प्रवृतियां,आर्थिक स्थितियां एवं प्रतियोगिता को ध्यान में रखते हुए गत वर्षों के अनुभव के आधार पर तैयार किया जाता है।

उत्पादन लागत बजट(Cost of Production Budget): यह बजट उत्पादन लागत का अनुमान प्रदान करता है तथा लागत के विभिन्न तत्वों के लिए अलग अलग बजट तैयार किए जाते हैं।

कच्ची सामग्री का बजट (Raw material Budget): यह बजट बजट अवधि में प्रत्येक निर्मित वस्तु के लिए आवश्यक प्रत्यक्ष सामग्री की मात्रा को सम्मिलित करता है। तथा प्रत्येक वस्तु के निर्माण के लिए एक विशेष कच्चे माल की आवश्यकता होती है। तथा कच्चे माल की आवश्यक कुल मात्रा की गणना करने के लिए वस्तु की कुल मात्रा को प्रति इकाई कच्चे माल की मात्रा से गुणा किया जाता है। तथा यह बजट क्रय विभाग की क्रय योजना बनाने में सहायता करता है और यह बजट कच्चे माल की  अधिकतम और न्यूनतम सीमा निर्धारण में प्रबंध की सहायता करता है।

श्रम बजट (Labour Budget): यह बजट भी व्यवसाय के लिए बहुत महत्वपूर्ण है तथा यह बजट व्यवसाय की उत्पादन के लिए श्रम की आवश्यकता को व्यक्त करता है।

क्रय बजट(Purchase Budget): क्रय बजट  उत्पादन की आवश्यकता को पूरा करने के लिए बजट अवधि में क्रय किए जाने वाली सामग्री की मात्रा एवं मूल्य का ब्यौरा प्रदान करता है। तथा क्रय बजट का उद्देश्य क्रय विभाग की क्रय योजना में सहायता करना है ताकि वह क्रय के दीर्घकालीन  सोदे कर सके। क्रय बजट सामग्री की मात्रा तथा लागत दोनों को व्यक्त करता है।  क्रय बजट में प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष दोनों प्रकार की सामग्रियां सम्मिलित की जाती है।

रोकड़ बजट (Cash Budget): यह बजट व्यवसाय की रोकड़ स्थिति को प्रदर्शित करता है। और यह निश्चित अवधि में रोकड़ की प्राप्तियो एवं भुगतान  का अनुमान प्रदान करता है। एक फर्म को रोकड़ की पर्याप्त मात्रा रखनी चाहिए लेकिन रोकड़ की अत्यधिक मात्रा से बचना चाहिए। इसलिए फर्म को अपनी रोकड़ की आवश्यकता का निर्धारण करना चाहिए। रोकड़ बजट के द्वारा फर्म की रोकड़ की आवश्यकता का अनुमान लगाया जा सकता है तथा उसकी पूर्ति के लिए समय पर वित्त की व्यवस्था की जा सकती है तथा रोकड़ बजट एक ऐसा विवरण है जो निश्चित समय अवधि में व्यवसाय के cash inflows और cash outflows को दर्शाता है। तथा इससे रोकड़ छूट का भी लाभ उठाया जा सकता है।

मास्टर बजट (Master Budget): मास्टर बजट सभी अन्य क्रियात्मक बजट को मिलाकर तैयार किया जाता है ताकि बजट अवधि के लिए पूर्वअनुमानित लाभ हानि खाता और बजट अवधि के अंत का पूर्वअनुमानित आर्थिक विवरण तैयार किए जा सके। तथा यह बजट व्यवसाय के सभी अन्य मुख्य बजटो का सारांश होता है। और यह व्यवसाय की बजट अवधि की सामूहिक योजना को व्यक्त करता है। इसे अंतिम बजट, सारांश 
बजट, योजना बजट भी कहा जाता है।

प्रशासनिक व्यय बजट (Administrative Expenses Budget): इस बजट में व्यवसाय के सामान्य प्रशासन तथा प्रबंध पर किए गए व्यय सम्मिलित किए जाते हैं। इस बजट का अनुमान प्रत्येक प्रशासनिक विभाग की जिम्मेदारियों एवं योजनाओं को ध्यान में रखते हुए लगाना चाहिए। गत वर्षो के खर्च भी इस बजट के निर्माण में सहायक हो सकते हैं। इन खर्चों में सामान्य प्रबंध का वेतन, वैधानिक खर्च, अंकेक्षण का शुल्क,डाक एवं टेलीफोन व्यय, कार्यालय का वेतन आदि सम्मिलित किया जाता है।

शोध बजट (Research Budget): नई वस्तुओं की खोज के लिए या वर्तमान वस्तुओं की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए किए जाने वाले व्यय का अनुमान इस बजट द्वारा प्रदान किया जाता है।

उत्पादन बजट (Production Budget): यह बजट विक्रय बजट पर आधारित होता है। उत्पादन बजट उत्पादन की मात्रा को व्यक्त करता है। उत्पादन की मात्रा वस्तु, क्षेत्र तथा समय के अनुसार व्यक्त की जाती है। लेकिन जब इस बजट को मुद्रा रूप में व्यक्त किया जाता है और इसमें प्रत्यक्ष सामग्री, प्रत्यक्ष श्रम, परिवर्तनशील व अर्ध परिवर्तनशील को सम्मिलित किया जाता है। इस प्रकार यह बजट उत्पादन लागत बजट कहलाता है। तथा इस विभाग का मुख्य उद्देश्य उत्पादन की क्रियाओं की योजना बनाना और उनका नियंत्रण करना, ठीक प्रकार का कच्चा माल क्रय करना है और विक्रय बजट के कार्यान्वयन केे लिए उत्पादन कार्यक्रम तैयार करना है।

पूंजीगत व्यय बजट (Capital Expenditure Budget): यह बजट बजट अवधि में पूंजीगत संपत्तियां प्राप्त करने के लिए आवश्यक कोषों की मात्रा को व्यक्त करता है। इन स्थाई संपत्तियों में नया भवन, प्लांट एवं मशीनरी, भूमि, फर्नीचर आदि को सम्मिलित किया जाता है।

लोचशीलता के अनुसार(According to Flexibility):-
लोचशीलता के आधार पर बजट दो प्रकार के हो सकते हैं।Fixed Budget और Flexible Budget.

Fixed Budget:-यह बजट एक स्थाई Level of Activity के आधार पर तैयार किया जाता है। और यह बजट तब तैयार किया जाता है जब विक्रय का  पूर्वानुमान आने वाली अवधि के लिए सही प्रकार से लगाया जा सकता है।

Flexible Budget:-जब बजट एक विशेष Level of Activity के आधार पर तैयार करने की बजाय उत्पादन या विक्रय के विभिन्न स्तरों पर तैयार किया जाता है। तो उसे लोचशील बजट कहते हैं। तथा यह बजट उस  स्थिति में अपनाया जाता है जब विक्रय का सही पूर्व अनुमान नहीं लगाया जा सकता है।

बजट नियंत्रण की प्रक्रिया(Process of Budgetary Control):-

बजट नियंत्रण की प्रक्रिया में आप निम्नलिखित कदमों को अनुसरण कर सकते हैं:

बजट तैयारी: अपनी आय, खर्च, और निवेशों को ध्यान में रखकर एक बजट तैयार करें।

कैश फ्लो मैनेजमेंट: आपकी आय और खर्च की सटीक निगरानी रखें, जिससे आप सही समय पर सही निर्णय ले सकें।

आय का बचत में विभाजन: आपकी आय को बचत, चालन खर्च, और निवेश में सही रूप से विभाजित करें।

खर्चों का नियंत्रण: अत्यधिक खर्च से बचने के लिए अपने खर्चों पर निगरानी रखें और आवश्यकता के अनुसार प्राथमिकताओं को तय करें।

बजट की समीक्षा: नियमित अंतरालों में अपने बजट की समीक्षा करें और आवश्यकतानुसार आपातकालीन बदलाव करें।

निवेश संबंधी निर्णय: आपके वित्तीय लक्ष्यों के साथ मेल खाते हुए सही निवेश के लिए निर्णय करें।

आर्थिक शिक्षा: आर्थिक जागरूकता बढ़ाने के लिए अपने वित्तीय लेखांकन को समझें और सीखें।

यह प्रक्रिया आपको व्यक्तिगत या व्यावसायिक आर्थिक स्थिति को निर्वाह करने में मदद कर सकती है।

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