Planning Meaning in Hindi। क्या होता है नियोजन हिंदी में समझे।

Planning Meaning in Hindi


Meaning of Planning:-

नियोजन से अभिप्राय है कि कुछ करने से पहले सोच विचार करना है क्यों कि कोई भी कार्य बिना सोच विचार किए नहीं किया जा सकता है और न ही उसमें सफलता प्राप्त होती हैं इसलिए कार्य को करने से पहले सोच विचार किया जाना अति आवश्यक है नियोजन के अन्तर्गत यह निश्चित किया जाता है कि क्या करना है , कैसे करना है,कब करना है,और किस व्यक्ति द्वारा किया जाना है। इन सभी कार्यों को ध्यान में रखकर ही कार्य की रूपरेखा तैयार की जाती है जिससे व्यवसाय के उद्देश्यों को आसानी से पूरा किया जा सकता हैं। इस लेख में आपको Planning Meaning in Hindi की full detail जानकारी मिलेगी।

Planning Meaning in Hindi

Process of Planning:
नियोजन एक लंबी प्रक्रिया है जिसे पूरा करने के लिए कई कदम उठाए जाते है जो इस प्रकार से है।  
  • अवसरों की जानकारी प्राप्त करना।
  • उद्देश्यों का निर्धारण करना। 
  • विकल्पों का मूल्यांकन करना।                
  • सर्वश्रेष्ठ विकल्प का चुनाव।                           
  • सहायक योजनाओं का निर्धारण।                  
  • योजनाओं को लागू करना।                          
  • योजनाओं की समीक्षा करना।ता है और यह क्रम चलता रहता है।                                                                
Features of Planning:
  • नियोजन गोल ओरिएंटेड होता है- योजना बनाते समय उद्देश्यों को ध्यान में रखकर ही कार्य किया जाता है और इसमें देखा जाता है कि उद्देश्यों को कैसे पूरा किया जाता है।                                        
  • नियोजन से कोऑर्डिनेशन स्थापित होता है -एक संस्था में सभी क्रियाओं को उचित तरीके से करने के लिए सभी में समन्वय होना चाहिए तभी कार्यों को कुशलता पूर्वक पूरा किया जा सकता है।                     
Benefits of Planning:
  • नियोजन प्रबंध का प्रथम और सबसे अधिक महत्वपूर्ण कार्य है इसकी जरूरत हर प्रबंधकीय लेवल पर होती है।                        
  • संस्था के उद्देश्यों पर ध्यान केंद्रित करना।
  •  साधनों का उचित उपयोग करना।                 
  • नियंत्रण को आसान बनाना।                        
  • कर्मचारियों के सहयोग में इंप्रूवमेंट लाना।       
  • भावी अनिश्चितताएं कम करना। 
                        
Planning Process:
 
नियोजन की प्रक्रिया अधिक महत्वपूर्ण है जो इस प्रकार से है-
                        
 1-Having Perception Of Opportunities (अवसरो की जानकारी प्राप्त करना)- योजना को बनाने की जरूरत किसी मुदे को सुलझाने के लिए और अवसरों का लाभ उठाने के लिए पड़ती हैं और इसमें एक व्यवसाय को उपलब्ध हो सकने वाले अवसरों कि जांच करने के लिए प्रबंधकों को संस्था की ताकत और कमजोरी दोनों को अनालाइज किया जाता है और उपलब्ध साधनों का उचित उपयोग किया जाता है।और इसमें इंटरनल और एक्सटर्नल दोनों फैक्टर्स को ध्यान में रखा जाता है। 

2-Establishing Objectives (उद्देश्यों का निर्धारण करना)- नियोजन प्रक्रिया का दूसरा चरण उद्देश्यों का निर्धारण करना होता है इसमें संस्था के लिए उदेश्य निर्धारित किए जाते है उदेश्ये स्पष्ट, निश्चित,और आसान होने चाहिए और हर कर्मचारी को उसका पता होना चाहिए जिससे वे अपना पूरा योगदान दे सके।                                                    
3-Determining Planning Limitations (नियोजन की सीमाओं का निर्धारण करना)- नियोजन प्रक्रिया का तीसरा कदम संस्था के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए की जाने वाली क्रियाओं को प्रभावित करने वाले तत्वों का निर्धारण करना है इन्हे दो भागो में बांटा जा सकता हैं- बाहरी तत्व और आंतरिक तत्व।जो किसी व्यवसाय की कार्य कुशलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।                 

4-Making A Forecast(पूर्व अनुमान लगाना)-तीसरे कदम के बाद नियोजन प्रक्रिया का चोथा चरण पहले से अनुमान लगाना है जो नियोजन सीमाओं पर आधारित होता है।                              

5-Searching For Alternative Courses(वैकल्पिक मार्गो की खोज करना)-कोई भी काम करने के अनेक तरीके होते है तथा कोई भी काम ऐसा नहीं होता जिसका कोई विकल्प ना होती।तथा संस्था में एक कार्य को अलग अलग तरीकों से करने की छानबीन की जाती है और उसी के अनुसार काम को किया जाता है।                       

6-Evaluating Alternatives(विकल्पों का मूल्यांकन करना)-इसके अंतर्गत विभिन्न विकल्पों का चुनाव किया जाता है तथा सभी के अपने अपने गुण और दोष होते है और इसमें देखा जाता है कि प्रतेक विकल्प संस्था के उद्देश्यों को कहा तक पूरा करता है।                 
7-Selecting The Best Alternatives(उत्तम विकल्प का चुनाव)-अलग अलग विकल्पों का मूल्यांकन करके उत्तम विकल्प का चुनाव के किया जाता है तथा भविष्य को ध्यान में रखकर ही कार्य को किया जाता है कई बार एक जैसे गुणों वाले विकल्प प्राप्त हो जाते है तब एक विकल्प को लागू करके दूसरे को रिजर्व में रख लिया जाता है तथा आवश्यकता पड़ने पर उसका इस्तेमाल किया जाता है।

8-Formulating Supporting Plans(सहायक योजनाओं का निर्धारण)-उपर सभी कार्यों को करने के बाद अगला चरण सहायक योजनाओं के निर्धारण करने का होता है तथा इसमें मुख्य योजना रेडी हो जाती हैं तथा मुख्य योजना को क्रियान्वित करने के लिए अनेक सहायक योजनाओं की जरूरत पड़ती हैं। 

9-Implementing Plans(योजनाओं को लागू करना)-सभी महत्वपूर्ण कार्य कर लेने के बाद अगला चरण योजनाओं को लागू करने का होता है।इसे निर्धारित करने के बाद विभिन्न क्रियाओं का क्रम निर्धारित किया जाता है और इसमें यह निश्चित किया जाता है कि कौन क्या करेगा और किस समय करेगा।इससे उद्देश्य आसानी से प्राप्त हो जाते हैं।

10-Reviewing Plans(योजनाओं की समीक्षा करना)- यह नियोजन प्रक्रिया का अंतिम चरण है तथा इसके अंतर्गत कंपनी के अंदर कार्य करने वाले व्यक्तियों का निरीक्षण किया जाता है तथा यह पता लगाया जाता है कि उनके द्वारा किया जाने वाला कार्य

इस प्रकार नियोजन प्रक्रिया किसी व्यवसाय कि कार्य कुशलता में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।जिससे व्यवसाय का निरंतर गति से विकास होता हैं और कार्यों को आसानी से किया जा सकता है।जो व्यवसाय के उद्देश्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
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