Components or Types of Plans:
(योजनाओं के प्रकार):-नियोजन एक निरंतर प्रक्रिया है जिसे पूरा करने के लिए निम्न स्तर को अपनाना पड़ता है और यह अनेक उप क्रियाओं का समूह है।नियोजन वह प्रोसेस है जिसके माध्यम से योजनाओं का निर्माण किया जाता है। इस लेख में आपको Components or Types of Plans in Hindi (योजनाओं के तत्व या प्रकार) की जानकारी मिलेगी।
योजनाएं निम्न प्रकार की होती है जैसे-Vision,Mission,or Goals and Objectives (कल्पना,मिशन,लक्ष्य,और उद्देश्य):
Components or Types of Plans in Hindi (योजनाओं के तत्व या प्रकार)-
Vission(कल्पना) कल्पना वह होती है जिसमे एक व्यक्ति और कंपनी भविष्य में कहा तक पहुंचना है उसके बारे में सोचते है।यह दीर्घकाल से संबंधित हैं तथा इसके आधार पर ही सभी क्रियाएं निश्चित की जाती है और यह सभी क्रियाओं का आधार है।कल्पना बनाकर ही सभी महत्वपूर्ण कार्यों को पूरा किया जा सकता है।तथा इसके आधार पर ही प्रयोजन,मिशन,और उद्देश्यों का निर्धारण किया जाता है।
Purpose(प्रयोजन)-प्रयोजन वह होता है जिसमे एक संस्था की मुख्य भूमिका होती हैं तथा सभी महत्वपूर्ण कार्य उद्देश्य को आधार बनाकर ही किए जाते है यदि हमे पता ही नहीं होगा कि हमे आगे क्या करना है तो उस कार्य में सफलता प्राप्त करने में बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ता हैं इसलिए उद्देश्य बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।तथा एक जैसी सभी संस्थाओं का प्रयोजन समान होता है।
Mission(मिशन)-लक्ष्य से अभिप्राय है कि एक संस्था दूसरी संस्था से किस प्रकार से अलग है जैसे एक संस्था का misson केवल चंदा प्राप्त करना हो सकता है।
1-Objectives (उद्देश्य)-यह बहुत ही महत्वपूर्ण होता है यह संस्था द्वारा प्राप्त करने वाला विशेष टारगेट होता है।सर्वप्रथम पूरी संस्था के लिए पहले उद्देश्य निर्धारित किए जाते है।तथा उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए सभी विभागों के उद्देश्य निश्चित कर दिए जाते है यह प्रबंध के सभी स्तरों पर बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।पहले संस्था का उद्देश्य केवल लाभ कमाना होता था लेकिन अब लाभ के साथ साथ सामाजिक दायित्व को भी ध्यान में रखा जाता है।
Characteristics of Objectives (उद्देश्यों की विशेषताएं)-
1-संगठन का आधार।
2- उद्देश्यों की अनेकता।
3- उद्देश्यों का क्रम।
4- उद्देश्यों की समीक्षा।
Importance of Objectives Determination (उद्देश्य निर्धारण का महत्व)-
1-उद्देश्य किसी कंपनी के justification को परिभाषित करते है-की कोई कंपनी की स्थापना का आधार क्या है।
2-इसमें सीमित साधनों का उचित उपयोग किया जाता है।
3-यह नियंत्रण में भी सहायक होते है।तथा इसमें निश्चित किया जाता है कि व्यक्ति को क्या क्या करना है और क्या नहीं।यदि कोई भी व्यक्ति उसको बताए गए काम से वह कम काम करता है तो उसे सजा दी जाती है।और अधिक काम करने पर उसे अवॉर्ड दिए जाते है यदि उद्देश्य न हो तो किसी भी काम को सफलतापूर्वक पूरा नहीं किया जा सकता है।
4-उद्देश्य कार्यवाही को प्रेरित करते है कि व्यक्ति की मंजिल क्या है और उसे कहा तक पहुंचना है फिर उस काम को करने का उचित प्रयास किया जाता है।
Guidelines For Objectives Determination:-
1-उद्देश्य वास्तविक होने चाहिए।
2-उद्देश्य की संख्या कम होनी चाहिए।
3-उद्देश्य स्पष्ट होने चाहिए।
4-उद्देश्य मापने योग्य होने चाहिए।
2-Policies(नीतियां)-इससे अभिप्राय सामान्य विवरणों से है जो निर्णय लेने में कर्मचारियों के मार्गदर्शन के लिए तैयार किए जाते है।इसकी आवशयकता उस समय पड़ती हैं जब व्यवसाय बड़े आकार का होता है और कंपनी के मुख्य प्रबंधक यह चाहते है कि उनके विचारों के अनुसार ही कंपनी का कार्य संपन्न हो तथा वह जो निर्देश देते है उसे ही नीतियां कहा जाता है। और यह उचित मार्गदर्शन प्रदान करती है।
Features of Policies:-
1-निर्णय सीमा का निर्धारण करना-नीतियां प्रबंधकों की निर्णय क्षमता को समाप्त नहीं करती बल्कि उन सीमाओं का निर्धारण करती है जिनके अंदर रहते हुए निर्णय लिए जाते है।
2-नीतियां उच्च प्रबंधकों द्वारा बनाई जाती है।
3-यह विचारों और निर्णय लेने की मार्गदर्शन है।
4-उद्देश्य प्राप्ति में भी सहायक होती है।
5-नीतियां प्राय लिखित रूप में होती है यह मौखिक भी हो सकती हैं यह अधीनस्थों के लिए अधिक सहायक होती है।
3-Procedure(कार्यविधियां)-कार्यविधियां वह होती है जो किसी काम को पूरा करने के लिए की जाने वाली क्रियाओं का क्रम निर्धारित करती है।यह नीतियों से अधिक स्पष्ट होती हैं क्यों की इसमें वर्णन किया जाता है कि किसी काम को पूरा करने के लिए कौन कौन सी क्रियाएं की जाएगी, इन क्रियाओं को किस क्रम में पूरा किया जाएगा,और इन क्रियाओं को कौन से व्यक्ति पूरा करेगे।
Advantages of Procedure-
1-Basis of Control
2-Increase Efficiency
3-Coordination
4-Uniformity in Results
Features of Procedure:-
1-तथ्यों पर आधारित- कार्यविधि अनुमानों पर आधारित न होकर तथ्यों पर आधारित होनी चाहिए और इसमें किसी कंपनी के उद्देश्य,कर्मचारियों की योग्यता आदि को भी ध्यान में रखा जाता है।
2-स्थिरता और लोच-कार्यविधि ऐसी होनी चाहिए जो लंबे समय तक बिना किसी विरोध के लागू की जा सके।यह इतनी कठोर भी नहीं होनी चाहिए कि कार्य को कुशलतापूर्वक पूरा न कर सके।और यह बदलती हुई परिस्थितियों का सामना भी न कर सके।
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